पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा विश्व प्रसिद्ध दक्षेश्वर महादेव और नीलकंठ मंदिर में महिलाओं के छोटे वस्त्र पहन कर आने पर पाबंदी लगाई है.. इस निर्णय के बाद संत समाज द्वारा देवभूमि उत्तराखंड में चार धामों समेत तमाम धार्मिक स्थलों पर फैल रही अश्लीलता को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी से अपील की है कि उत्तराखंड को पर्यटन नहीं बल्कि तीर्थाटन दृष्टि से देखा जाए और इसके लिए यहां आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की जाए कि वह देवभूमि मे आएं तो अपने वस्त्रों का ख्याल रखें और तीर्थ क्षेत्रों की मर्यादा का पालन करें… जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि का कहना है कि पूरे देश में सनातन परंपरा की प्रेरणा देवभूमि उत्तराखंड से मिलती है जो श्रद्धालु पर्यटन के लिए देवभूमि आते हैं उसमें अगर महिला छोटे वस्त्र पहन कर आती है तो वही रोक देना चाहिए इस पर सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी होगी.
वहीं बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल मुनि का कहना है कि भारतीय संस्कृति के अनुसार तीर्थाटन क्षेत्र में छोटे वस्त्र पहनकर आने वाली महिलाओं पर रोक लगनी चाहिए.. इनका कहना है कि देश के कई राज्यों में इसपर प्रतिबंध लगा हुआ है देश के कई मंदिरों में ड्रेस कोड लागू है इसको पूरे देश में लागू करना असंभव कार्य नहीं है इसको लागू करने कि हम भारत सरकार से मांग करते हैं….
वीओ- हिंदू रक्षा सेना की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति प्रजापति का कहना है कि धार्मिक स्थानों पर महिलाओं द्वारा छोटे वस्त्र पहनने पर प्रतिबंध लगना चाहिए क्योंकि महिलाओं की एक मर्यादा होती है क्योंकि छोटे वस्त्र पहनने वाली महिलाओं पर कुछ व्यक्तियों द्वारा गलत कमेंट किए जाते हैं इसके लिए हम महिलाओं को भी जागरूक करेंगे कि वह छोटे वस्त्र पहनकर धार्मिक स्थलों पर ना जाए इसके लिए हम पूरा प्रयास करेंगे की इसपर रोक लगाई जा सके.
चार धाम यात्रा समेत पूरे उत्तराखंड में आने वाले श्रद्धालु आजकल यहां तीर्थाटन कम बल्कि पर्यटन की दृष्टि से ज्यादा आ रहे हैं.. जबकि यह धर्म और अध्यात्म का क्षेत्र है… ऐसे में संत समाज सरकार से मांग कर रहा है कि दक्षेश्वर महादेव और नीलकंठ मंदिर में ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड के मंदिरों सहित आश्रम अखाड़ों में आने वाली महिलाओं पर छोटे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगना चाहिए तभी देवभूमि की संस्कृति बच पाएगी.