खगोल वैज्ञानिकों ने कई नए उपग्रह और तारों की खोज की है। इसी कड़ी में हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक क्षुद्रग्रह की खोज की है, जो कि पृथ्वी के साथ साथ सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाता है। यह एक नया क्षुद्रग्रह यानी एस्टेरॉयड है, जिसका नाम 2023 FW13 है। यह हमारी पृथ्वी का 2100 साल पुराना साथी है जो हमारी धरती के साथ ही सूर्य के चक्कर लगाता है। इस कारण यह पृथ्वी का ‘क्वासी मून’ या एक तरह से कहें कि दूसरा चंद्रमा बन गया है। यह स्पेस रॉक जिस ऑर्बिट यानी कक्षा में है उसके आधे रास्ते में मंगल ग्रह और आधे रास्ते में शुक्र ग्रह है।
नए चांद की पहली झलक 28 मार्च 2023 को देखने को मिली थी। तब वैज्ञानिकों ने इसे पैनस्टार्स टेलिस्कोप से देखा था। इसी के बाद से इस पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन शुरू कर दिया। अब जाकर इसकी पुष्टि हुई है। इसका नाम इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के माइनर प्लैनेट सेंटर की सूची में दर्ज किया गया है। अध्ययन में पता चला है कि ये पृथ्वी और सूर्य दोनों का ही चक्कर लगाता है। हालांकि, सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के चलते ये सूर्य की ओर खिंचा रहता है।
क्या है ये नया चांद?
नासा के मुताबिक, क्वासी मून एक तरह का स्पेस रॉक है। इसका डायमीटर (व्यास) 30-50 फीट हो सकता है। ये हमारे चंद्रमा के व्यास का एक छोटा सा अंश है। ये 2100 साल (100BC) से पृथ्वी के आसपास ही मौजूद था अब इसकी पहचान हुई है। ये अगले 1500 साल तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। इसके बाद ये पृथ्वी की कक्षा छोड़ देगा। इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होगा। यह सूर्य के चारों ओर उतने ही समय में चक्कर लगाता है जितने समय में (365 दिन) पृथ्वी लगाती है, साथ ही ये पृथ्वी के चारों ओर भी चक्कर लगाता है।
नासा के अनुसार, क्वासी-मून को क्वासी-सैटेलाइट भी कहा जाता है। ये चंद्रमा की तरह ही पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। हालांकि, पृथ्वी की जगह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधे होते हैं। इसलिए इन्हें क्वासी कहा गया है।
पुराने चांद से नया कितना अलग?
नासा ने इसको लेकर भी एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, ‘नया चांद पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ के बाहर चक्कर लगता है। मतलब उस जगह नहीं चक्कर लगाता है जहां ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल सबसे ज्यादा ताकतवर होता है। इसी बल के कारण उपग्रह, ग्रह की ओर खिचते हैं।
पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस (त्रिज्या) 1.5 मिलियन किलोमीटर है, जबकि 2023 FW13 का रेडियस इससे बड़ा यानी 1.6 मिलियन किलोमीटर है। वहीं, हमारे चंद्रमा के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस सिर्फ 60 हजार किलोमीटर है। यह स्पेस रॉक जिस ऑर्बिट में है उसके आधे रास्ते में मंगल ग्रह और आधे रास्ते में शुक्र ग्रह है। इस तरहा से खगोल वैज्ञानिकों ने आंतरिकक्ष में एक और चांद की खोज की है.