Uttarakhand News| Joshimath sinking| जोशीमठ के पगनों गांव में भूस्खलन : आपदा का दंश झेल रहा जोशीमठ के लिए मानसून गरीबी में आटा गिला के समान है. जोशीमठ में भारी बारिश के चलते कई गांव में दरारें और भूस्खलन होने लगा है. उन्ही में से एक गांव पगनो भी है जहां पर मानसून के चलते लोग डर के साये में जी रहे है.जोशीमठ प्रखण्ड का पगनो ग्राम भूस्खलन की चपेट मे है, लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण पेयजल लाइन व रास्ते अक्षतिग्रस्त हो गए है,एसडीएम के नेतृत्व मे पहुंची प्रशासन की टीम ने खतरे की जद मे आए नौ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया। पगनो गांव की ठीक ऊपर से हो रहे भूस्खलन के कारण ग्रामीण खासे परेशान हो चले है।
प्रशासन ने ली ग्रामीणों की सुध
लगातार भूस्खलन को देखते हुए एसडीएम कुमकुम जोशी के नेतृत्व मे प्रशासन व वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर भूस्खलन प्रभावित ग्रामीणों की सुध ली। प्रशासन की टीम ने खतरे की जद मे आए नौ परिवारों को गांव मे ही सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया। इनके अलावा खतरे की जद मे आए प्राथमिक विद्यालय व आंगनबाड़ी केन्द्र को भी जूनियर हाईस्कूल मे शिफ्ट कर दिया गया है।
एसडीएम ने पेयजल लाइन दुरस्त करने व पैदल मार्ग की मरम्मत के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया। प्रशासन द्वारा एक परिवार को टेन्ट उपलब्ध कराया गया जबकि एक अन्य परिवार को किराए पर घर लेकर शिफ्ट किया,कुछ परिवारों ने अस्थाई आवास ब्यवस्था के लिए टिन सीट की मांग की है।
पगनों गांव में 120 परिवार करते है निवास
जोशीमठ तहसील मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पगनों गांव में 120 परिवार निवास करते है। गांव के ठीक पीछे स्थित पहाड़ी के शीर्ष भाग में एक प्राकृतिक झील थी। वर्ष 2021 में भारी बारिश के दौरान झील क्षतिग्रस्त हो गई और पानी का रिसाव होने लगा। जिससे बरसात में गांव में मलबा आना शुरू हुआ।
जुलाई माह में शुरु हुआ पहाड़ी से भारी भूस्खलन
इस बार जुलाई माह में पहाड़ी से भारी भूस्खलन शुरू हो गया। और अब स्थिति यह है कि जगह जगह से जमीन फट रही है. और लगातार भूधंसाव हो रहा है जिससे ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर है. इससे मुरलीधर, पुष्पा देवी, जय प्रसाद, कैलाश सुंदरियाल, प्रदीप सिंह, दिलवर सिंह, दुर्गा देवी, कुंदन सिंह और भोपाल लाल ने अपने घर छोड़ दिए हैं। उनके घर पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। कैलाश सुंदरियाल और दुर्गा देवी के परिवार ने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले ली है, जबकि अन्य परिवार गांव के ही समीप गोशाला और खेतों में टेंट लगाकर रह रहे हैं। गांव का शिव मंदिर भी भूस्खलन से जमींदोज हो गया है। वहीं एसडीएम कुमकुम जोशी ने गांव में जाकर भूस्खलन की स्थिति का जायजा लिया।
नौ परिवारों ने अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों में ली शरण
भूस्खलन के कारण नौ परिवारों ने अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों में शरण ले ली है. एसडीएम के निर्देश पर खतरे की जद में आए 35 अन्य परिवारों को भी शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। एसडीएम ने प्रभावित परिवारों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं को भी सुना। एसडीएम ने बताया कि गांव के नौ परिवार शिफ्ट किए जा चुके हैं। गांव के पंचायत भवन और मिनल केंद्र को रिजर्व में रखा गया है। खतरे की जद में आ रहे 35 अन्य परिवारों को भी सुरक्षित जगह पर रखने की कार्रवाई चल रही है। जल्दी इनको भी शिफ्ट कर दिया जाएगा।
कैसे सुरक्षित होगी शंकराचार्य की नगरी
भूस्खलन से पगनों गांव में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गांव के पीछे पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन के कारण नौ परिवारों ने अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों में शरण ले ली है। जबकि 35 अन्य परिवारों को भी शिफ्ट करने की तैयारी है। लेकिन इस दौरान यहां के लोगों के चेहरे पर डर और माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही है. उन्हे चिंता है अपनी जन्म भूमि की जहां पर उनकी कई पीडियां रह चुकी है. और डर है कि उन्हे अब अपनी पूर्वजों की भूमि को छोडना ना पड़ जाए. लेकिन फिर भी उन्हे उम्मीद है कि शायद उनकी जन्म भूमि को बचा लिया जाए. अब देखना होगा कि शंकराचार्य की इस भूमि पर सांइस कार्य कर पाता है या फिर लोगों की आस्था से कोई चमतकार रंग लाता है.
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